राजधानी शिमला में कोरोना वैक्सीन के लिए लोगों को एक सप्ताह का इंतजार करना होगा। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला और रिपन में कोरोना वैक्सीन खत्म हो गई है। इससे पहले अस्पतालों में बूस्टर डोज लगाई जा रही थी। कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने शुरू हो गए हैं। इसके बाद जिला प्रशासन ने 23 से 28 दिसंबर तक बूस्टर डोज के लिए विशेष अभियान पांच दिन का चलाया था।
लोगों ने कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया
इस दौरान भी अंतिम दिन वैक्सीन खत्म हो गई थी। अब लगातार ही लोग कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। कोरोना की बूस्टर डोज लगवाने का काम लंबे समय से चल रहा था, लेकिन कोरोना के मामले साल भर में कम होने के बाद काफी लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। अब फिर से कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद बूस्टर डोज लगवाने के लिए अधिकतर लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं।
वैक्सीन के बजाय नाक से डाले जानी वाली दवा का इंतजार
अब नेजल ड्राप्स की तैयारी देश भर में लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीन के बजाय नाक से डाले जानी वाली दवा का इंतजार किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। कंपनियों की ओर से इस पर काम किया जा रहा है। आने वाले समय में देश में यही वैक्सीन लगेगी, इसलिए हिमाचल में भी इसका इंतजार किया जा रहा है।
शरीर में कोरोना के खिलाफ बनी हुई एंटीबाडी व इम्यूनिटी का लेवल कम होने लगता है। इससे कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। बूस्टर डोज लेने से एंटीबाडी फिर से बन जाती है। इससे कोरोना के लक्षण गंभीर नहीं होते हैं। वैक्सीन लगने के बाद अगर कोई संक्रमित होता भी है तो हास्पिटलाइजेशन की जरूरत नहीं आती है। ऐसे में कोरोना बूस्टर डोज लगाना जरूरी है।