उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना से मचे कोहराम के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार भी हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को सचिवालय में आपदा प्रबंधन की उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में सुक्खू ने अधिकारियों के साथ जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव तथा हिमाचल प्रदेश में ऐसे संभावित स्थानों की पहचान करने पर विस्तृत चर्चा की।
मुख्यमंत्री ने किन्नौर, कुल्लू, चम्बा तथा कांगड़ा जिला के उपायुक्तों को भू-धंसाव के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने तथा रिपोर्ट सरकार को भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने उपायुक्तों को भू-स्खलन तथा भू-धंसाव और सड़क हादसों के ब्लैक स्पॉट्स की अलग-अलग रिपोर्ट भेजने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में विभिन्न आपदाओं से होने वाले नुकसान की विस्तृत जानकारी भी ली। उन्होंने आपदाओं से निपटने के लिए संस्थागत स्तर से लेकर व्यक्तिगत स्तर तक तैयारियों को मजबूत करने व शमन और निवारक उपायों पर विशेष बल दिया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से प्रदेश में भूस्खलन प्रभावित स्थलों तथा सिंकिंग जोन का पूर्ण विवरण लिया।
सुक्खू ने अधिकारियों को ग्लेशियर मैपिंग के लिए भी आधुनिक उपकरणों के माध्यम से उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में भूकंप अधिक आते हैं उनका अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिन क्षेत्रों में सर्पदंश की घटनाएं अधिक होती हैं वहां इसके उपचार के लिए प्राथमिक स्तर पर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने ऐसे सभी संभावित क्षेत्रों के स्वास्थ्य संस्थानों में विषरोधक इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
बैठक के बाद पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जोशीमठ जैसे घटना की संभावना नहीं है, लेकिन फिर भी अधिकारियों को सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश के सींकिंग और स्लाइडिंग वाले क्षेत्रों को लेकर उपायुक्तों से जानकारी ली गईं है। हालांकि हिमाचल में फिलहाल जोशीमठ जैसी आपदा की आशंका नजर नहीं आती है।