मालूम हो कि 6 जुलाई 2017 को कोटखाई में 10वीं की छात्रा गुड़िया का शव तांदी के जंगल में बरामद हुआ था। छात्रा दो दिन पहले स्कूल से रहस्यमयी हालात में गायब हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छात्रा के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या किए जाने की पुष्टि हुई थी। मामले की आरंभिक जांच स्थानीय पुलिस ने की थी। बाद में तत्कालीन सरकार ने केस की छानबीन के लिए पूर्व आईजी जहूर हैदर जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी बनाई थी। एसआईटी ने इस केस में कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया था।
इनमें से एक आरोपी सूरज की कोटखाई थाना के लॉकअप में हत्या कर दी गई थी। कोटखाई थाना के लॉकअप में एक आरोपी की हत्या की छानबीन सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने इस मामले में विशेष जांच दल के आईजी के एच जहूर जैदी समेत कुल नौ पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया था। छात्रा की दुष्कर्म के बाद निर्मम हत्या के मामले ने इतना तूल पकड़ा था कि 2017 के विधानसभा चुनाव में यह मुख्य मुद्दा बन गया था। नतीजतन कांग्रेस को सत्ता गवानी पड़ी थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तब कांग्रेस की सरकार को वापस नहीं करा पाए थे।
जैदी कोटखाई में छात्रा (गुड़िया) के दुष्कर्म एवं हत्या के मामले में छह संदिग्धों में से एक की हिरासत में मौत के लिए सीबीआई द्वारा अभियुक्त बनाए गए नौ लोगों में से एक हैं। लॉकअप में हत्या के मामले में गिरफ्तारी के बाद प्रदेश सरकार ने जहूर हैदर जैदी को 15 जनवरी 2020 को निलंबित कर दिया था। जहूर हैदर जैदी 582 दिन तक कंडा जेल में रहे थे। अब तीन साल के लंबे अंतराल के बाद मौजूदा कांग्रेस की सरकार ने उनकी सेवाओं को बहाल किया है।
जैदी पर लॉकअप हत्या मामले में एक महिला आईपीएस अधिकारी पर बयान बदलने के लिए दवाब बनाने का भी आरोप लगा था। अभियोजन पक्ष की गवाह महिला आईपीएस अधिकारी ने चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत को बताया था कि जैदी उस पर अपना बयान बदलने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। विशेष सीबीआई अदालत द्वारा राज्य के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को जैदी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे। इसके बाद ही जनवरी 2020 में गृह विभाग ने उनके निलंबन का आदेश जारी किया था।