स्कूलों में पढ़ाने के बजाय कुछ शिक्षक शिक्षा निदेशालय, उप निदेशक कार्यालय, खंड प्रारंभिक शिक्षा कार्यालयों में फाइलें निपटा रहे हैं। डेपुटेशन और सकेंडमेंट (प्रतिनियुक्ति) आधार पर इन शिक्षकों ने अपना समायोजन इन कार्यालयों में करवाया है।
इनका वेतन स्कूलों से ही आता है, लेकिन ये सेवाएं अन्य जगह दे रहे हैं। राजनीतिक पहुंच के चलते इन शिक्षकों ने अपना समायोजन इस तरह से करवाया है, ताकि कोई इन्हें बदल भी न सकें। अब प्रदेश सरकार ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई करने की तैयारी में है। सरकार इन शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर वापस स्कूलों में पढ़ाने का जिम्मा सौंपेगी।
कई बार हुआ डेपुटेशन को खत्म का प्रयास
प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक घनश्याम चंद की ओर से इस संबंध में सभी जिलों के उपनिदेशकों को पत्र जारी किया है। इन्हें 30 जनवरी तक ऐसे शिक्षकों का रिकार्ड निदेशालय भेजने को कहा है।
पूर्व सरकार के कार्यकाल में भी कई बार डेपुटेशन को खत्म कर शिक्षकों को स्कूलों में भेजने का निर्णय लिया गया। इसको लेकर बाकायदा आदेश भी जारी हुए, लेकिन जमीनी स्तर पर इसे लागू नहीं किया जा सका।
बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित
राजनीतिक रसूख के चलते शिक्षक अपनी डेपुटेशन के आधार पर स्कूलों के बजाय निदेशालय या अन्य स्थानों पर अपनी एडजस्टमेंट करवाते हैं। शिक्षक स्कूलों में पढ़ाने के बजाय सरकारी कार्यालयों में फाइलें आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इससे स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश भर में 36 से ज्यादा शिक्षक ऐसे हैं जो डेपुटेशन व सकेंडमेंट आधार पर तैनात हैं। ये शिक्षक शिमला स्थित उच्च, प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय और समग्र शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त हैं।