पहाड़ों तक पहुंचा BBC डॉक्यूमेंट्री का बवाल, हिमाचल यूनिवर्सिटी में पुलिस ने रोकी स्क्रीनिंग; हुई जमकर नारेबाजी

 गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री बीती कई दिनों से विवादों में है। यह विवाद अब देश के कई विश्वविद्यालयों में भी घर कर रहा है। वामपंथी छात्र संगठन देश भर के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' की स्क्रीनिंग कर रहे हैं। इस कड़ी में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में भी शनिवार शाम एसएफआई छात्र संगठन ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। हालांकि इससे पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की ओर से डॉक्यूमेंट्री को ना चलाने का निर्देश जारी कर दिया गया था।


शाम करीब 6 बजे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग शुरू हुई। करीब 19 मिनट तक डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने के बाद पुलिस हरकत में आई। शिमला पुलिस के जवानों ने मौके पर से प्रोजेक्टर के लिए लगाई गई स्क्रीन को वहां से हटा दिया। इस दौरान छात्र संगठन एसएफआई और पुलिस के जवानों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। शिमला पुलिस ने केंद्र सरकार की ओर से डॉक्यूमेंट्री प्रतिबंधित होने और इसके प्रसारण से कानून-व्यवस्था खराब होने की स्थिति का हवाला देते हुए कार्रवाई की।


इस मुद्दे पर छात्र संगठन एसएफआई ने कहा है कि सरकार तानाशाही रवैया अपनाए हुए है और लोगों से सच छिपाने का काम किया जा रहा है। एसएफआई के एक छात्र नेता ने कहा कि आज इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कर वो सेंसरशिप के कानून के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।


एसएफआई ने ऐलान किया कि सरकार की ओर से उन्हें रोके जाने के बाद अब इस डॉक्यूमेंट्री को शिमला के मालरोड और हिमाचल प्रदेश सचिवालय के बाहर दिखाने का काम करेंगे। एसएफआई ने आरोप लगाया कि पुलिस सरकार के इशारों पर छात्रों की आवाज दबाने का काम कर रही है।


DU, JNU और जामिया में भी बवाल

बता दें कि बीबीसी के विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भी बवाल मचा था। मंगलवार की रात जेएनयू में हिंसा भड़क गई थी। पत्थरबाजी की खबरें भी सामने आई थी। वहीं जामिया में डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग के चलते 13 छात्रों को हिरासत में लिया गया था।

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