हिमाचल में ‘‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना’’ के अंतर्गत 1.71 लाख किसानों ने अपनाई प्राकृतिक खेती : मुख्यमंत्री जी


वैज्ञानिकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य के किसानों और बागवानों को लाभान्वित करने के लिए विश्वविद्यालयों और विभिन्न संस्थाओं की प्रयोगशालाओं में किए गए अनुसंधान को खेतों में स्थानांतरित किया जाए। यह बात मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने आज सोलन जिला के नौणी स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में आयोजित 12वें द्विवार्षिक राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कही। प्राकृतिक खेती और अन्य सतत् कृषि तकनीक विषय पर आधारित दो दिवसीय सम्मेलन में देशभर से 731 कृषि विज्ञान केन्द्र और विभिन्न राज्यों के 1000 से अधिक वैज्ञानिक और किसान भाग ले रहे हैं।



मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने कहा कि प्रदेश के किसान मेहनती और परिश्रमी हैं और नई तकनीकें अपनाने में देश के अन्य राज्यों से आगे हैं। उन्होंने राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और गुजरात के वर्तमान राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग बहुत हानिकारक है। वर्तमान सरकार ने सत्ता सम्भालने के तीन महीनों के भीतर ही किसानों के दीर्घकालीन कल्याण के लिए प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना आरम्भ की और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया और वर्तमान में प्रदेश के लगभग 1.71 लाख से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है।


मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने विभिन्न मंचों पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में हिमाचल प्रदेश के प्रयासों की कई बार सराहना की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने देशभर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय बजट में विशेष प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उत्पादन क्षमता कम होती है, जो चिन्ता का विषय है। उन्होंने कहा कि हम हिमाचल प्रदेश को कृषि क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से रसायन मुक्त बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं और आने वाले 15 वर्षों में राज्य को एक प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।

मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस वर्ष अन्त तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी फसल विविधीकरण पर विशेष बल देते हैं ताकि किसानों की आय को बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भी कृषि अर्थव्यवस्था ने देश की अर्थव्यवस्था को सहारा प्रदान किया। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों और उन्नत तकनीक अपनाने के कारण आज किसानों द्वारा कृषि, बागवानी और सब्जी उत्पादन के माध्यम से प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में 10 हजार करोड़ रुपये का योगदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि उत्पादों के विक्रय के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को बेहतर विपणन सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने प्रदेश के किसानों और बागवानों से विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से समय-समय पर दिए जाने वाले बीजों और रोपण सामग्री की उन्नत किस्मों के सम्बन्ध में निरंतर मार्गदर्शन करने का आग्रह किया। उन्होंने कृषक समुदाय के कल्याण के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे समर्पित प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से फल-सब्जी और सतत् कृषि के क्षेत्र में अपने अनुसंधान को निरंतर आगे बढ़ाने का आग्रह किया ताकि किसान और बागवान लाभान्वित हो सकें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में वैज्ञानिकों को भारत में कृषि एवं बागवानी के भविष्य को और अधिक सुदृढ़ करने तथा इस क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकी के बारे में गहन विचार विमर्श करने का अवसर मिलेगा।

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