गांव में आखिर कैसा होम क्वारंटाइन

रामपुर बुशहर-होम क्वारंटाइन, जिसका अर्थ है कि जो भी बाहरी राज्यों से आया है, उसे एक जगह पर इस तरह से रखना की तय समय तक वह किसी भी व्यक्ति के संपर्क में न आए, जिस कमरे में बह रह रहा है, वह पूरी तरह से अलग हो, वहीं जो शौचालय वह इस्तेमाल कर रहा है, वह भी पूरी तरह से अलग हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ये किसी भी हाल में मुमकिन नहीं है। खासकर दूरदराज के गांव में जो लोग बाहरी राज्यों से आए है, उन्हें होम क्वारंटाइन की पूरी सुविधा देना मुमकिन नहीं है। प्रदेश सरकार ने पांच मई को जिन लोगों को चंडीगढ़ से रामपुर पहुंचाया, उन्हें स्थानीय प्रशासन ने अपने-अपने घरों में इस आदेश के साथ भेज दिया कि उन सभी को होम क्वारंटाइन किया जाए, लेकिन किसी ने भी ये चेक करने की कोशिश नहीं की कि जो बाहरी राज्यों से यहां पर आए हैं, उनके घरों में क्या होम क्वारंटाइन करने की पूरी सुविधा है या नहीं। अब अलग- अलग जगहों से सूचनाएं आ रही हैं कि जो बाहरी राज्यों से दूरदराज की पंचायतों में आए है, वह होम क्वारंटाइन को मजाक में ले रहे है। कारण साफ है कि जो बाहरी राज्यों से यहां पर पहुंचे हैं, वह बीमार नहीं है, लेकिन ऐतिहात के तौर पर उन्हें 14 दिन का होम क्वारंटाइन पूरा करना है। ये सबसे बड़ा प्रश्न है। एसडीएम नरेंद्र चौहान ने धार गौरा में जाकर छह घरों को जांचा जहां पर लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया है। श्री चौहान ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में अधिकारियों व कर्मचारियों को ड्यूटी लगाई गई है, जो बाहरी राज्यों से आए लोगों का होम क्वारंटाईन जांच रहे है।

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