साहब! हमें भी घर जाना है

सुन्नी-शिमला ग्रामीण की तहसील सुन्नी में विभिन्न राज्यों के सैकड़ों मजदूर अपने घरों को जाने के लिए सरकार की दया पर निर्भर हैं। तहसील की विभिन्न पंचायतों में रोजी रोटी की तलाश में आए मजदूर लंबे लॉकडाउन के कारण अपने-अपने राज्यों को लौटना चाहते हैं। क्षेत्र से विभिन्न राज्यों के 147 मजदूरों ने स्थानीय प्रशासन को आवेदन के माध्यम से घर लौटने की गुहार लगाई है। बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब इत्यादि राज्यों से विभिन्न पंचायतों में मजदूरी करके, फेरी एवं जादूगरी का खेल दिखा कर गुजर बसर करने वाले सैकड़ों लोग अपने घरों को भेजने के लिए बस की व्यवस्था हेतु सरकार की ओर देख रहे हैं। इन मजदूरों का कहना है कि लंबे लॉकडाउन के चलते बेकार होने से आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। ऐसे में निजी वाहन करके घरों को लौटना मुमकिन नहीं है। जिस तरह से दूसरे जिलों एवं प्रदेशों से सरकार द्वारा बसें बुक करके वापस भेजा जा रहा है, वैसे ही उन्हें भी वाजिब किराया देकर भेजने की व्यवस्था की जाए। मजदूरों का कहना है कि क्षेत्र से लगभग 250 कश्मीरियों को भी वापस भेजा गया है। ऐसे ही उन्हें भी अपने-अपने राज्यों में भेजने की व्यवस्था की जाए। इस बारे तहसीलदार सुन्नी देवपाल चौहान ने बताया कि मजदूरों के आवेदन को जिला प्रशासन को भेजा गया है।

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