शिमला – सरकार ने लॉकडाउन के नियमों में ढील देकर मोटर मेकेनिक की दुकानों को खोल तो दिया लेकिन इन दुकानों के खुलने का फायदा इन लोगों को नहीं हो पा रहा है। इनके पास रोजगार नहीं है। क्योंकि सरकार ने केवल असेंशियल डयूटी वाले वाहनों को ही छूट दे रखी है ऐसे में वही वाहन मुरम्मत के लिए आते हैं मगर उनकी संख्या बहुत कम है। शिमला की कच्ची घाटी में स्थित मोटर मेकेनिक मार्केट के हाल खराब है। यहां पर मौजूद मैकेनिक वाहनों के इंतजार में रहते हैं। कभी दो दिन में तो कभी तीन दिन में एक वाहन इनके पास मरम्मत कार्य के लिए आता है जिससे उनका काम नहीं चल पाता। यहां पर एक-एक दुकान में तीन से चार मेकेनिक हैं जिनके सामने रोजी-रोटी के लाले पड़ चुके हैं। कच्ची घाटी ही नहीं बल्कि शिमला में दूसरी मार्केट में भी मेकेनिकों का यही हाल है। तजिंद्र सिंह का कहना है कि लॉकडाउन में चार घंटे दुकान खुलती है और उसमें इक्का-दुक्का वाहन कहीं गलती से आ जाए तो ठीक वरना काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में जो कर्मचारी रखे गए हैं उनको वेतन देना मुश्किल हो चुका है जिसके लिए सरकार को सोचना चाहिए। कृष्ण का कहना है कि सरकार को हम लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए। केंद्र सरकार सभी वर्गों के लिए कुछ न कुछ दे रही है मगर उनके लिए कुछ नहीं सोचा गया। शिमला में कच्ची घाटी के अलावा ढली में मोटर मेकेनिक की दुकानें हैं जिनके पास भी काम नहीं आ रहा है। इनका कहना है कि गिना चुना वाहन ही यहां तक पहुंचता है ऐसे में काम कैसे चलेगा।
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