अब की बार सेब पर तगड़ी मार

ठियोग-इस बार प्रदेशभर में सेब की फसल पिछले साल की अपेक्षा आधी रहने की संभावना है। इसका एक बड़ा कारण पहले अत्याधिक बर्फबारी बाद में फ्लावरिंग के समय बारिश से सेब बैल्ट में काफी अधिक नुकसान हुआ है। मौसम की मार के चलते इस साल अनुमान यह लगाया जा रहा है कि पूरे प्रदेशभर में सेब उत्पादन बेहद कम होगा। 1999 में एक बार सेब का सबसे कम उत्पादन हुआ था। उस समय भी सूखे की मार के कारण प्रदेशभर में सेब का उत्पादन कुल एक करोड़ के आसपास ही सिमट गया था। गत वर्ष यानी 2019 में हिमाचल में साढ़े तीन करोड़ के आसपास पेटी का उत्पादन हुआ था। इस बार आरंभ से ही सेब उत्पादन पर मौसम की मार पड़ी है। पहले सर्दियों में बर्फबारी अधिक होने से नमी अधिक हो गई थी बाद में फ्लावरिंग पर जिस तरह से बारिश के कारण ठंड पड़ी उससे सेब की फ्लावरिंग पर काफी असर पड़ा, जिससे कि सेब उत्पादन कम होने की संभावना है। फसल कम होने की उम्मीद के कारण बागबानों के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। बागबानी विशेषज्ञ की मानें तो मौसम में परिवर्तन से सेब उत्पादन को झटका लग सकता है। पिछले एक दशक में मौसम में आर्श्चयजनक परिर्वतन देखने को मिल रहे हैं। पर्यावरण में बदलाव के कारण सेब उत्पादन के प्रतिकूल परिस्थितियां पैदा हो रही हैं। यहां पर ये भी बता दें कि पूरे हिमाचल में सेब का 80 फीसदी उत्पादन जिला शिमला में किया जाता है और इसमें ठियोग के अलावा कोटखाई, जुब्बल, रोहडू, चौपाल, कोटगढ़ में सेब पैदा किया जाता है। बारिश होने से परागण सही रूप से नहीं हो पा रहा है और सेटिंग पर इसका गहरा असर देखने को मिल सकता है। इस बार शिमला जिला के ठियोग के अलावा कोटखाई, रोहडू में सेब की करीब 60 बीमा नमी अधिक होने से पत्तियों में बदल गया है। पिछले कुछ सालों पर यदि गौर किया जाए तो पूरे प्रदेश में साल दर साल सेब उत्पादन घट रहा है। यहां पर कुछ आंकड़ों से बात साफ  जाहिर हो रही है। यहां पर सेब उत्पादन वर्ष 2011 में एक करोड़ 37 लाख, 2010 में करीब आठ साल पहले सबसे अधिक सेब का उत्पादन हुआ था। उस साल हिमाचल में साढे़ चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन हुआ था, लेकिन 2012 में दो करोड़, 2013 में तीन करोड़ 70 लाख, वर्ष 2014 में तीन करोड़ 12 लाख, वर्ष 2015 में तीन करोड़ 89 लाख व साल 2016 में दो करोड़ 35 लाख सेब की पेटी का उत्पादन हुआ था। जबकि 2017 में सवा दो करोड़ पेटी सेब पैदा किया गया था। जबकि 2018 में तीन करोड़। हालांकि 2019 में सेब की अच्छी पैदावार थी और करीब साढ़े तीन-चार करोड़ के करीब सेब उत्पादन हुआ था। यह आंकड़ा दर्शा रहा है कि मौसम चक्र में परिवर्तन के कारण सेब की पैदावार पर साल दर साल कमी देखने को मिल रही है।

 

 

 

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