फीस अदा न कर पाने वाले अभिभावक जल्द बताएं

शिमला-शिमला के निजी स्कूलों को शिक्षा विभाग ने एक बार फिर से चेतावनी जारी की है। उच्च शिक्षा निदेशक अमरजीत का कहना है कि निजी स्कूल अभिभावकों को परेशान न कर सकें, इसके लिए ऐजुकेशनल इंस्टीच्यूशनल रेगुलेशन एक्ट के नियमों का अध्ययन किया जा रहा है। वहीं एक्ट के तहत अब फीस के लिए बाध्य करने वाले स्कूल प्रबंधन की एनओसी रद्द की जाएंगी। शिक्षा विभाग ने निजी स्कूल प्रबंधन को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या संकट की इस घड़ी में निजी स्कूल एक माह लेट फीस लिए बिना नहीं रह  सकते है। शिक्षा विभाग ने स्कूलों को संयम रखने के आदेश दिए है। वहीं अभिभावकों से भी अपिल की है कि जो फीस नहीं दे सकते है, और जिन पर दबाव बनाया जा रहा है, वह विभाग में लिखित शिकायत भेंजे, उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएंगी। बता दें कि कोरोना के बीच निजी स्कूलों का फीस को लेकर अभिभावकोंं पर बनाए जाने वाले दबाव पर अब सरकार व शिक्षा विभाग एक्शन मूड पर है। अब सरकार ने फैसला लिया है कि निजी स्कूलों पर एजुकेशनल इंस्टीच्यूशनल रेगुलेशन एक्ट कार्रवाई करेगा। यानी की सरकार व शिक्षा विभाग 1997 में प्राइवेट स्कूलों के लिए बनाए गए इस एक्ट को हथियार के रूप में इस्तेमाल करेंगी। अब अगर किसी स्कूल ने मनमानी की तो शिक्षा विभाग स्कूल की एनओसी रद्द कर सकता है। इसके साथ ही विभाग ने यह भी साफ किया है कि इस महामारी में मनमानी करने पर एपेडैमिक के  एक्ट के तहत क्रिमीनल धारा भी लगाई जा सकती है। यानी की संकट की इस घड़ी में अगर निजी स्कूलों ने अभिभावकों से फीस मांगी, तो क्रिमीनल भी घोषित किए जा सकते है। सरकार के आदेशों के बाद शिक्षा विभाग ने 1997 में बनाएं गए इस एक्ट का अध्ययन एक बार फिर से कर दिया है, और निजी स्कूलों को चेताया है कि अगर उन्होंने अपनी मनमानी नहीं रोकी, तो सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएंगी। बता दें कि निजी स्कूलों के लिए बनाएं गए इस एक्ट के तहत पीटीए की बिना कोई भी स्कूल फीस वृद्धि नहीं कर सकते है। इसके साथ ही अगर कोई स्कूल फीस वृद्धि करता भी है तो उसे जस्टीफिकेशन देनी होगी, कि किस वजह से इतनी फीस वृद्धि की गई है। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने साफ शब्दों में कहा है कि निजी स्कूल शिक्षकों अभिभावकों से जबरदस्ती फीस नहीं ले सकते हैं, और न ही कोरोना के संकट के बीच में शिक्षकों को नौकरी से निकाल सकते हैं। शिक्षकों की सैलरी भी स्कूल नहीं रोक सकते हैं। अगर निजी स्कूल ऐसा करते हैं तो इसके लिए सरकार को नया कानून भी बनाना पड़े तो वह भी बनाया जाएगा, लेकिन निजी स्कूलों को यह मनमानी नहीं करने दी जाएगी। जानकारी के अनुसार कोरोना के समय में एपिडेमिक एक्ट को राज्य सरकार ने अडॉप्ट किया है और वहीं डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत भी अगर कोई संस्था और व्यक्ति विशेष सरकार के आदेशों की अवहेलना करते हैं तो उन पर मुकदमा होने के साथ ही सजा और जुर्माना भी हो सकता है।  अभिभावकों को भी यह सलाह दी है कि संकट के समय में भी निजी स्कूल अभिभावकों का सहयोग नहीं करते हैं तो अभिभावकों को भी इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या उन्हें अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में शिक्षा देनी चाहिए या नहीं।

 

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