ननखड़ी में सेब के पौधों में फ्लावरिंग का दौर शुरू

ननखड़ी-ननखड़ी के मध्यम एवं निचले क्षेत्रों में सेब के पौधों में फ्लावरिंग का दौर शुरू हो चुका है। अच्छे फ्रूट सेटिंग के लिए सेब के बागीचों में परागण किस्मों का होना आवश्यक है। जाहिर तौर पर जिन बागीचों में परागण किस्में उचित अनुपात से लगाई हों, उनमें फूल खिलने के समय प्रतिकूल मौसम होने पर भी अच्छी सेटिंग होती है। जहां फूल खिलने के समय मौसम खराब होने के कारण फल में कमी होने वाले मध्यवर्ती क्षेत्रों में यह अनुपात 22 प्रतिशत होना चाहिए, इसके अलावा जिन सेब उत्पादक क्षेत्रों में पाला पड़ता है वहां परागण किस्मों का अनुपात करीब 34 प्रतिशत होना आवश्यक है। बागबानी विशेषज्ञ का कहना है कि बागबान अपने बागीचों में गोल्डन डिलिशियस, रेड गोल्डन, टाइडमैन जैसी परागण किस्में अवश्य लगाएं। इसके साथ-साथ मधुमक्खियों का प्रयोग भी परागण के लिए किया जाता है। सेब की अच्छी फसल में मधुमक्खियों का एक विशेष योगदान है। बागबानी विशेषज्ञों के मुताबिक सेब के पौधे को सर्दियों में 800 से 1600 घंटे तथा सात डिग्री से नीचे तापमान होना चाहिए, जिससे सेब की फ्लावरिंग समय पर होती है। इसके अलावा फ्लावरिंग के दौरान तापमान में उतार-चढ़ाव भी नहीं होना चाहिए।

 

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