चार दिन बाद खिली धूप, पटरी पर जिंदगी

नेरवा – चार दिन की झमाझम के बाद सूर्यदेव के दर्शन होने पर लोगों ने राहत की सांस ली है।  चार दिनों से घरों में बंद लोगों ने बाहर निकल कर अपने रोजमर्रा के कार्यों की शुरुआत कर दी है। लगातार चार दिनों तक हुई भारी बरसात ने जहां निजी व सरकारी सम्पतियों को लाखों रुपये की चपत लगाई है, वहीं ठंड के प्रकोप ने भी लोगों को घरों के अंदर कैद कर के रख दिया था। धूप खिलने के बाद अब जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है। किसानों ने जहां खेतों का रुख कर लिया है, वहीं विभिन्न विभाग भी सुविधाएं बहाल करने में जुट गए हैं। लोक निर्माण विभाग बंद सड़कों को खोलने में जुट गया है एवं बिजली बोर्ड ने भी ग्रामीण क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त लाइनों को ठीक कर बिजली बहाली का प्रयास शुरू कर दिया है। क्षेत्रवासी इन चार दिनों तक सबसे ज्यादा बिजली की समस्या से परेशान हुए। हालांकि बोर्ड के कर्मी बर्फ  के बीच बिजली बहाली में लगातार जुटे रहे, परन्तु कुदरत के आगे उनकी एक भी नहीं चली और लोगों को परेशानी से दो चार होना पड़ा। खिड़की चंबी से होकर गुजर रही मुख्य लाइन पर बार बार पेड़ों के गिरने से बिजली बोर्ड को कड़ी परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ा। विभाग जब तक लाइन पर गिरे एक पेड़ को हटा कर बत्ती बहाल करता था, तब तक दूसरा पेड़ गिरने से उपमंडल चौपाल में फिर से अंधेरे का साम्राज्य छा जाता था। बुधवार को चंबी में लाइन पर दो पेड़ गिर गए थे। बोर्ड कर्मियों, ठेकेदार के लेबर व आउटसोर्स कर्मचारियों ने पांच घंटे की कड़ी मशक्कत कर क्षेत्र की बिजली बहाल कर अभी ठीक ढंग से चैन की सांस भी नहीं ली थी की गुरुवार को फिर से एक पेड़ लाइन पर गिरने से इलाका फिर से अंधेरे में डूब गया। इसी प्रकार शुक्रवार व शनिवार को भी लाइनों के क्षतिग्रस्त होने से बार-बार बिजली बाधित होती रही। शनिवार रात को शीलकायण के समीप भू-स्खलन होने और पेड़ गिरने से एक सिंगल व एक डबल स्ट्रक्चर तहस नहस हो गया। परन्तु विभागीय कर्मचारियों ने एक अन्य खंभे से लाइन को बाई पास कर पौने दस बजे एक बार फिर से बिजली बहाल कर लोगों को राहत प्रदान कर दी है। हालांकि क्षतिग्रस्त हुए स्ट्रक्चर को ठीक करने में कई घंटे का समय लग सकता है। इसी प्रकार नेरवा रेस्ट हाऊस के समीप आए भूस्खलन ने भी लोगों की सांसे गले में अटकाए रखी। भूस्खलन से न केवल नेरवा-शिमला मार्ग इन चार दिनों में कई-कई घंटे अवरुद्ध रहा, बल्कि बस स्टैंड वाले मार्ग पर भी इस भूस्खलन का मलवा आने से न केवल बस स्टैंड से बसों की आवाजाही पूरी तरह ठप रही, बल्कि अस्पताल मार्ग के बंद होने से मरीजों को भी कठिनाई झेलनी पड़ी। बस स्टैंड के नजदीक तीन घरों में मलवा घुसने से इन घरों को भी लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। उधर मौसम खुलने के बाद किसानों ने भी राहत की सांस ली है एवं दुआ कर रहे है कि मौसम अब कुछ दिनों तक मेहरबानी बनाये रखे। बहरहाल चार दिनों की बारिश और बर्फबारी के बाद धूप खिलने पर लोगों ने राहत की सांस ली है।

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