देवभूमि हिमाचल को स्वच्छ बनाने के लिए आमजन की सहभागिता आवश्यक

मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत देवभूमि हिमाचल को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए दृढ़ प्रयास किए जा रहे हैं तथा इसमें लोगों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जा रही है। स्वच्छ भारत मिशन का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के नागरिकों को शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवाकर खुले में शौच की प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करना, शुष्क शौचालय को फ्लैशिंग शौचालय में परिवर्तित करना, मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करना, आधुनिक और वैज्ञानिक ढंग से ठोस कचरा प्रबंधन सुनिश्चित करना एवं स्वच्छता व्यवस्थता के प्रति जागरूकता व जन सहभागिता को सुनिश्चित कर लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना है।
करोड़ों की लागत से किया शौचालयों का निर्माण
उपरोक्त योजना का लाभ उठाने के लिए स्थानीय शहरी निकायों में रहने वाले वह सभी लोग पात्र होंगे, जिनके पास अपना शौचालय नहीं बना है, या उनका शौचालय सीवरेज लाईन से नहीं जुड़ा है। योजना के तहत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपए की राशि, व्यक्तिगत शौचालय निर्माण घटक के तहत प्रदान की जा रही है। गत दो वर्षों के दौरान इस योजना के तहत 5.51 करोड़ रुपए व्यय कर 5633 व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है तथा 1.11 करोड़ रुपए की राशि व्यय कर 1198 सार्वजनिक शौचालयों और 370 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया है।
कचरे से ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास
सार्वजनिक निजी सांझोदारी पीपीपी मोड के तहत कचरे से उर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत शिमला में 1.75 मैगावाट क्षमता के संयंत्र के लिए 42 करोड़ रुपए तथा मनाली में एक मैगावाट के संयंत्र के लिए 18 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। प्रदेश के प्रत्येक शहरी निकायों में एक बेलिंग मशीन स्थापित की जा रही है और अब तक 15 मशीनें लगाई गई हैं। इसके अतिरिक्त 54 सेनिटरी इंसीनरेटर लगाए जा रहे हैं।
प्रदेश में स्थापित किए जा रहे कचरे से खाद बनाने वाले संयत्र
राज्य के 40 अन्य शहरी निकायों के लिए कचरे से खाद बनाने के संयत्र स्थापित किए जा रहे हैं। सीमेंट कंपनियों से इन निकायों के ज्वलनशील कचरा ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए गए हैं। प्रदेश के तीन अन्य नगर निकायों में भूमिगत कचरा संग्रह प्रणाली स्थापित किए गए, जिसके तहत 163 भूमिगत डस्टबीन स्थापित किए जा चुके हैं। पिछले दो वर्षों में कूड़े-कचरे के निपटान के लिए पांच ट्रामेल मशीनें लगाई गई हैं। शहरी विकास विभाग द्वारा व्यवहार परिवर्तन और जन भागीदारी के लिए प्रदेश में जागरूकता गतिविधियों का संचालन भी किया जा रहा है।



courtesy: CMO Himachal Pradesh

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