आखिर कहां से आएगा नजराने का बजट

रामपुर बुशहर – देवताओं के नजराने पर नगर परिषद प्रशासन की तरफ टकटकी लगाए बैठा है। करीब चार लाख की नजराना राशि देने के लिए नगर परिषद इस बार सक्षम नहीं है। कारण यह है कि इस बार मेले में स्टाल नहीं लग पाए। इन्हीं स्टालों से आए पैसों को नगर परिषद देवताओं के नजराने के तौर पर देती थी। मेला शुरू करने पर भले ही सहमति हो गई हो लेकिन स्टाल को लगाने पर सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में नगर परिषद की कमाई का अहम हिस्सा इस बार लग नहीं पाया। जिसका असर ये हो रहा है कि नगर परिषद को देवताओं के नजराने की राशि देने पर प्रशासन के आगे हाथ फैलाने पड़ रहे है। उम्मीद ये ही लगाई जा रही है कि प्रशासन देवताओं का नजराना अपने खजाने से करेगा। फिलहाल इस पर संशय कायम है। यहां बताते चले कि मेले के आयोजन से करीब 15 दिन पहले आयोजित बैठक में ये तय किया गया था कि इस बार देवी-देवताओं के नजराने में दस फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी। ऐसे में प्रशासन को न केवल तय नजराना देना होगा बल्कि दस फीसदी बढ़ा हुआ नजराना भी देवताओं के कारदारों को चुकाना होगा। नगर परिषद का कहना है कि मेले में आए देवी-देवताओं के नजराने में करीब चार लाख की राशि खर्च होती है। इस राशि को देने में नगर परिषद असमर्थ है। ऐसे में वह इस बात को प्रशासन के समक्ष रखेगी।

जब मेला हो रहा है तो स्टाल क्यों नहीं

जब प्रशासन ने मेले के आयोजन को मंजूरी दे दी है तो स्टालों को भी मंजूरी मिलनी चाहिए थी। प्रशासन का ये तर्क था कि मेले में बाहर से व्यपारी यहां पर आएगें, जिससे करोना वायरस का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में स्टालों को इस बार नहीं लगाया गया, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि बाहरी व्यपारियों ने मेले के लिए स्टालों को खरीद लिया था। ऐसे में यहां पर बाहरी राज्यों से व्यपारी पहुंच चुके है। जो मेले में धूम रहे है।

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