मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश करते हुए ऊर्जा क्षेत्र को और सुदृढ़ बनाने के लिए ऐतिहासिक घोषणाएं की हैं। जल विद्युत दोहन प्रदेश के लिए आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। 2020-21 में लगभग 515 मैगावाट क्षमता की परियोजनाएं चालू होने की संभावना है, जिसमें 180 मैगावाट की बजोली होली, 24.6 मैगावाट की वांगर होमते और 100 मैगावाट की सोरंग तथा हिमाचल प्रदेश पावर कार्पोरेशन द्वारा कार्यान्वित की जा रही 111 मैगावाट की सावड़ा कुड्डु शामिल हैं। 100 मैगावाट क्षमता की ऊहल को भी मई, 2020 तक चालू कर दिया जाएगा। 2020-21 में लूहरी चरण-1 210 मैगावाट, धौलासिद्ध 66 मैगावाट, चांजू-तृतीय चरण 48 मैगावाट और दियोथल चांजू 30 मैगावाट परियोजनाओं पर कार्य आरंभ करना प्रस्तावित है।
रेणुकाजी परियोजना
रेणुकाजी परियोजना 40 मैगावाट को केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित किया गया है जिसकी अनुमानित लागत 6,947 करोड़ रुपए है। इस परियोजना का कार्य 2020-21 में आरंभ होने की संभावना है। मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने कहा कि प्रदेश में विद्युत उत्पादन में गति लाने तथा गैर परंपरागत ऊर्जा के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित लगभग 3 हजार 200 करोड़ रुपए की परियोजना को केंद्र सरकार ने विश्व बैंक से वित्त पोषण हेतु अनुमति प्रदान कर दी है। इस परियोजना के अन्तर्गत विश्व बैंक द्वारा विद्युत उत्पादन, ट्रांसमिशन तथा वितरण क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में बिजली की समस्या का समाधान हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में काफी समय से अधर में लटकी जल विद्युत परियोजनाओं को जल्द से जल्द कार्यान्वित करने के उद्देश्य से परियोजना निर्माताओं को एकमुश्त रियायत देने हेतु एक नीति का निर्धारण करेगी ताकि इन परियोजनाओं के निर्माण कार्य को गति मिल सके।
पांगी घाटी में बिजली की समस्या का होगा निदान
पांगी घाटी में बिजली की समस्या को कम करने हेतु राज्य सरकार द्वारा 2020-21 में 1,000 घरों में 250 वाॅट क्षमता प्रति घर के आॅफ ग्रिड सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने प्रस्तावित हैं। सरकार ने गैर परंपरागत ऊर्जा क्षेत्र में तथा नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) को पूरा करने के लिए हिमाचल प्रदेश के स्थाई निवासियों को सौर ऊर्जा उत्पादन हेतु 250 किलोवाट से लेकर 500 किलोवाट तक की परियोजनाएं आबंटित की हैं। इन परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली को क्रय करने हेतु सरकार ने हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटेड के साथ ऊर्जा क्रय अनुबंध करना अनिवार्य किया है। मुख्यमंत्री ने इन परियोजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन हेतु 2,000 रुपए प्रति किलोवाट का उपदान देने की घोषणा की है।
8 ईएचटी परियोजनाओं का होगा कार्यान्वयन
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा 2020-21 में 8 अतिरिक्त ईएचटी परियोजनाओं क्रमशः कोठीपुरा, नडूखर, नीरथ, दुधली (शिमला), मोगीनंद, कसौली, वाकनाघाट और चकवां खन्नी औद्योगिक पार्क तथा विद्युतिकरण एवं प्रणाली सुधार/संवर्धन से सम्बन्धित 65 हाई/लो वोल्टेज परियोजनाओं का कार्यान्वयन प्रस्तावित है। बिजली बोर्ड की संयुक्त उद्यम कम्पनी हिमाचल रिनेवब्लस लिमिटेड तथा केंद्र सरकार के सौर ऊर्जा निगम द्वारा संयुक्त रूप से 50 प्रतिशत इक्विटी भागीदारी के अन्तर्गत बैटरी भंडारण की सुविधा के साथ काजा में बनने वाले 2 मैगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र का कार्य जून, 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा। प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कम वोल्टेज़ की समस्या से जूझना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड ने कम वोल्टेज वाले क्षेत्रों की पहचान की है और 158 करोड़ रुपए की एक परियोजना प्रारम्भ की है जिसे 2020-21 के अन्त तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
बिजली के लगेंगे नई खम्बे, कर्मचारियों के भरे जाएंगे पद
वर्तमान में लगभग 65,000 लकड़ी के बिजली के खम्बे विभिन्न एच.टी./एल.टी. लाईनों में विद्यमान हैं। इन सभी खम्बों को 2020-21 में बदला जाएगा। बिजली बोर्ड में कर्मचारियों की कमी के मद्देनजर 2020-21 में लगभग 3,000 कर्मचारियों, जिनमें मुख्यतः तकनीकी कर्मचारी होंगे, को नियुक्त करने की योजना है। प्रदेश में बिजली के संचारण के लिए सुदृढ़ एवं कारगर प्रणाली का होना आवश्यक है। राज्य सरकार द्वारा 1 हजार 381 करोड़ रुपए की लागत से 6 सब-स्टेशन व 6 ट्रांसमिशन लाईन पूरी कर ली गई है। 2020-21 में हिमाचल प्रदेश विद्युत संचार निगम द्वारा पाॅवर ट्रांसमिषन नेटवर्क में 820 एमवीए क्षमता के 6 सब-स्टेशन और 200 सर्किट किलोमटर ट्रांसमिशन लाईनों को जोड़े जाने का लक्ष्य है। इन परियोजनाओं के निर्माण पर लगभग 350 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर बिजली देने के लिए 2020-21 में 480 करोड़ रुपए सब्सिडी प्रस्तावित है। प्रदेश के ग्रामीण तथा दूरदराज के क्षेत्रों में रह रहे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों को बिजली की सुचारु आपूर्ति हेतु अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिए आवष्यकतानुसार उपदान का युक्तिकरण किया जाएगा।
courtesy: CMO Himachal Pradesh
Post a Comment