हिमाचल सरकार ने राज्य के किसान-बागवानों को सुदृढ़ बनाने के लिए ऐतिहासिक योजनाएं शुरू की गई हैं, जिससे हजारों किसान परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी एवं राज्य सरकार ने वित्तीय बजट 2020-21 में भी किसानों व बागवानों के लिए उचित प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने बजट पेश करते हुए कहा कि कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओएस) किसानों, बागवानों, दुग्ध उत्पादकों, मछुआरों आदि प्राथमिक उत्पादकों के निकाय है। किसान-बागवान संसाधन जुटाने में प्रायः असफल रहते हैं। उन्हें फसल बुवाई से कटाई तक तथा कटाई के बाद ग्रेडिंग और पैकेजिंग मशीनों, परिवहन, भंडारण गोदाम और पैक हाऊस जैसे बुनियादी ढांचे तथा अन्य इन्पुटस की आवश्यकता होती है जिसके लिए दीर्घकालिक पूंजी की जरूरत रहती है। उन्होंने एफपीओएस सुदृढ़ करने के लिए 20 करोड़ रुपए का ‘‘कृषि कोष’’ बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे एफपीओएस को सीड मनी, ब्याज सबवेन्शन और क्रेडिट गारंटी कवर प्रदान किया जाएगा। इसके लिए विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे। 2022 तक 75,000-90,000 किसानों को कृषि कोष का लाभ मिलने की संभावना है।
राज्य में शुरू होगी ‘‘कृषि से संपन्नता योजना’’
मुख्यमंत्री श्री जयरारम ठाकुर जी ने कहा कि इन्स्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायो टैक्नोलॉजी पालमपुर द्वारा हींग की एक नई प्रजाति की पहचान की गई है जोकि चम्बा, लाहौल स्पिति और किन्नौर जिलों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगाई जा सकती है। हींग की इस प्रजाति की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसी प्रकार कुछ क्षेत्रों में केसर की खेती के लिए अनुकूल जलवायु एवं वातावरण पाया गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने केसर उत्पादन आरंभ करने का भी प्रस्ताव रखा है। इन दोनों उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री ने ‘‘कृषि से संपन्नता योजना’’ की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने तथा कृषि सम्बन्धी कठिनाईयों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने मॉडल अधिनियम तैयार किए हैं। इनमें से मॉडल एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एंड लाइवस्टॉक मार्केट एक्ट पर पहले ही सदन की समिति ने अपनी सिफारिशें प्रदान कर दी हैं। ऐसे में राज्य सरकार का प्रस्ताव है कि कृषि से सम्बन्धित अन्य मॉडल अधिनियमों को भी सदन के विचारार्थ प्रस्तुत किया जाएगा।
प्रदेश में नहीं रहेगी बंजर भूमि...,गठित होगी कमेटी
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के बहुत से किसान परिवार निजी कारणों से गांव छोड़कर शहर में निवास कर रहे हैं या उनके बच्चे बाहर रहते हैं। परिणामस्वरूप उनकी कृषि भूमि खाली पड़ी रहती हैं। राज्य सरकार ने सदन के सभी दलों के सदस्यों की एक कमेटी बनाना प्रस्तावित किया है जोकि खाली पड़ी भूमि को किसी अन्य, सिर्फ हिमाचली कृषक, को खेतीबाड़ी हेतु देने की व्यवस्था बारे अध्ययन करके अपने सुझाव प्रस्तुत करेगी। इससे प्रदेश में कृषि उत्पादन को बल मिलेगा तथा किसानों की आर्थिकी भी सुधरेगी।
‘‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’’ योजना के लिए किया 25 करोड़ का प्रावधान
मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने प्रसन्नता जाहिर की है कि बीते दो वर्ष पूर्व प्रदेश में आरंभ की गई ‘‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’’ योजना के अन्तर्गत सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि योजना को लगभग 50 हजार किसानों ने अपनाया है। इस पद्धति के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। 2020-21 में इस संख्या को 1 लाख किसानों तक ले जाया जाएगा। इसके साथ ही 1 लाख किसानों को जागरूकता शिविरों एवं मार्गदर्शक कार्यशालाओं के माध्यम से इस विधि को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। वर्ष 2020-21 के अंत तक कम से कम 20 हजार हैक्टेयर क्षेत्र को प्राकृतिक कृषि के अन्तर्गत लाया जाएगा। इस योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए मुख्यमंत्री ने 25 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रस्तावित किया है।
ब्लाॅकों में आयोजित होंगे कृषक मेले
मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि खरीफ एवं रवी की बिजाई से पहले पूरे राज्य के सभी ब्लाॅकों में कृषक मेले आयोजित किए जाएंगे। इन मेलों में कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य पालन, कृषि/बागवानी विश्वविद्यालय, बैंक के अधिकारी/वैज्ञानिक/कर्मचारी भाग लेंगे जिससे कृषकों को तकनीकी तथा ऋण सम्बन्धी जानकारी एक ही स्थान पर मिल सके। मौजूदा समय में जल संग्रहण, संरक्षण तथा प्रबंधन से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन अलग-अलग विभागों द्वारा किया जा रहा है। इन सभी प्रयासों का समुचित लाभ पात्र लाभार्थियों तक पहुंचाने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यकारी विभागों में समन्वय की आवश्यकता है। इस उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी जल संरक्षण एवं प्रबंधन हेतु एक समिति के गठन की घोषणा की हे। इस समिति द्वारा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी जल स्त्रोतों तथा संसाधनों के सतत् प्रबंधन के लिए आवश्यक कदम सुझाए जाएंगे।
फिन्ना सिंह मध्यम सिंचाई परियोजना के लिए 70 करोड़ का बजट प्रस्तावित
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप नादौन मध्यम सिंचाई परियोजना का कार्य समाप्ति पर है। शीघ्र ही इसे कमीशन कर दिया जाएगा। इस परियोजना के पूरा होने से लगभग 3,000 हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। 2020-21 में फिन्ना सिंह मध्यम सिंचाई परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे ताकि 4,000 हैक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सके। 2020-21 में इस परियोजना के लिए 70 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित है।
‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’’ के अन्तर्गत शीघ्र पूरी होंगी लघु सिंचाई योजनाएं
मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने कहा कि लघु सिंचाई योजनाओं को ‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’’ के अन्तर्गत शीघ्र ही पूरा किया जाएगा। 338 करोड़ रुपए की लागत से 111 लघु सिंचाई योजनाओं के लिए केंद्र सरकार से अब तक 202 करोड़ रुपए प्राप्त हो चुके हैं तथा इन सिंचाई योजनाओं का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में है। इसके अतिरिक्त 3 हजार 534 हैक्टेयर भूमि पर 87 करोड़ 35 लाख रुपए की लागत से 4 और लघु सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण के लिए केंद्र सरकार का अनुमोदन प्राप्त हो चुका है। इन परियोजनाओं का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में है। 2020-21 में इन परियोजनाओं का निर्माण पूरा किया जाएगा एवं अन्य परियोजनाओं की डीपीआर कंेद्र सरकार को प्रेषित की जाएगी।
सिंचाई परियोजनाओं के लिए किया 1,024 करोड़ का प्रावधान
मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने कहा कि प्रदेश में सिंचाई परियोजनाओं का बहुत विस्तारीकरण हुआ है लेकिन कमांड क्षेत्र विकसित न होने के कारण सिंचाई के लिए उपलब्ध पानी सभी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंचा है। सिंचाई योजनाओं के क्षेत्र में सभी किसानों की पैदावार एवं आय में वृद्धि करने की आवश्यकता है। उन्हांेने घोषणा की है कि वर्तमान में जो सिंचाई क्षमता विकसित की गई है, उसके पूरे दोहन के लिए कमांड एरिया डेवलपमैंट योजना के अन्तर्गत किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिए 2020-21 में 1,024 करोड़ रुपए के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है।
”कृषि उत्पाद संरक्षण (हेलनेट) योजना“ के तहत मिलेगा 50 प्रतिशत अनुदान
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के पात्र बागवानों एवं किसानों को अनुदान के आधार पर हेलनेट का प्रावधान किया जा रहा है। इस हेलनेट के माध्यम से बागीचे के पेड़ों तथा खेत के पौधों को ढकने के लिए बांस अथवा स्टील की सहायता से बनी स्थाई संरचना की आवश्यकता होती है। इस स्थायी संरचना पर अभी तक सहायता नहीं दी जाती है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि ”कृषि उत्पाद संरक्षण (हेलनेट) योजना“ नामक नई योजना के अन्तर्गत हेल नेट के लिए बांस अथवा स्टील के स्थाई स्ट्रक्चर पर बागवानों तथा किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। एंटी हेलनेट पर मिलने वाले अनुदान की वर्तमान व्यवस्था यथावत् रहेगी। मुख्यमंत्री ने इस योजना के दोनों घटकों के लिए 2020-21 के लिए 50 करोड़ रुपए के प्रावधान का प्रस्ताव रखा है।
शुरू होगी ”मधु उत्पादन एवं प्रसंस्करण“ और ”महक“ योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ‘‘मुख्यमंत्री मधु विकास योजना’’ चल रही है लेकिन अब बी वैक्स, बी वेनम, पोलन एंड रॉयल जेली इत्यादि मधु उत्पादों को स्वास्थ्य उत्पाद के रूप में विकसित करने के लिए इसे व्यवसायिक प्रोत्साहन प्रदान करने का समय आ गया है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने ”मधु उत्पादन एवं प्रसंस्करण योजना“ की घाषणा की है। 2020-21 में इसके लिए 7 करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण युवा वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करने तथा कृषकों की आय को दोगुना करने की दिशा में सुगन्धित पौधों की खेती और प्रोसैसिंग महत्वपूर्ण कदम होगा। इस उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने ”महक“ योजना की घोषणा की है। इस योजना के अंतर्गत कृषक एवं बागवानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा व सुगंधित पौधारोपण, विकास एवं विपणन हेतु प्रोसैसिंग इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
बागवानी क्षेत्र पर 536 करोड़ रुपए का प्रावधान
मुख्यमंत्री ने बागवानी क्षेत्र पर 2020-21 बजट अनुमानों में 536 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के अन्तर्गत तीन सीए स्टोर गुम्मा, जरोल टिक्कर व रोहड़ू का उन्नयन किया जाएगा। इस उन्नयन से सीए स्टोरों की क्षमता 2,000 टन से बढ़कर 5,700 टन हो जाएगी। इसके अतिरिक्त इन तीनों सीए स्टोर के पैक हाऊसिंग की ग्रेडिंग लाईन को भी उन्नयित किया जाएगा। प्रदेश में पहली बार जरोल-टिक्कर में चैरी के लिए हाईड्रोकूलिंग की सुविधा भी स्थापित की जाएगी।
courtesy: CMO Himachal Pradesh
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