मुख्यमंत्री ने पेश किया हिमाचल प्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20

मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर जी ने आज विधानसभा में हिमाचल प्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 प्रस्तुत किया। यह दस्तावेज आर्थिक और सांख्यिकी विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा तैयार किया गया है। 
2019-20 में हिमाचल का आर्थिक प्रदर्शन : हिमाचल प्रदेश ने केंद्र सरकार के सहयोग से कुशल नीतियों के माध्यम से राज्य के लोगों के बेहतर जीवन के लिए स्थायी प्रयास किए हैं। राज्य के सरल और मेहनती लोगों के स्थायी प्रयासों तथा केन्द्र एवं राज्य सरकार की प्रगतिशील नीतियों तथा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के कारण हिमाचल में एक जीवंत अर्थव्यवस्था है। हिमाचल प्रदेश ने समृद्ध तथा बढ़ती अर्थव्यवस्था से देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। अग्रिम अनुमान के अनुसार 2019-20 के अन्तर्गत वृद्धि की दर लगभग 5.6 प्रतिशत रहने की संभावना है जबकि 2018-19 में 1,17,851 करोड़ रुपए की तुलना में स्थिर कीमतों पर कुल जी.एस.डी.पी. का अनुमान 1,24,403 करोड़ रुपए है। मौजूदा कीमतों पर जी.एस.डी.पी.  2018-19 के अन्तर्गत्  1,53,845 करोड़ रुपए के विरुद्ध लगभग 1,65,472 रुपए होने की संभावना है।
2019-20 के अन्तर्गत 5.6 प्रतिशत की वृद्धि मुख्य रुप से प्राथमिक क्षेत्र का 9.3 प्रतिशत तथा सामुदायिक एवं व्यक्तिगत सेवा का क्षेत्र 7.7 प्रतिशत है। द्वितीय क्षेत्र में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। बागवानी उत्पादन में 42.82 प्रतिशत की वृद्धि के कारण समग्र प्राथमिक क्षेत्र में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो अंततः 5.6 प्रतिशत की समग्र वृद्धि दर्शाती है।
वर्ष 2019-20 के लिए वास्तविक रुप से ;प्रति वर्ष 2011-12 कीमतों परद्ध प्रति व्यक्ति आय 1,46,268 रुपए के स्तर को प्राप्त करने की सम्भावना है, जबकि वर्ष 2018-19 में 1,39,469 रुपए के स्तर से 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्तमान कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय जो 2018-19 के लिए पहले संशोधित अनुमानों के अनुसार 1,83,108 रुपए थी, वर्ष 2019-20 के अन्तर्गत 1,95,255 रुपए तक बढ़ने की सम्भावना है, जिससे लगभग 6.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र
वर्तमान मूल्य पर राज्य के सकल मूल्य वर्धित ;जीवीएद्ध में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का भाग 2014-15 में 15.35 प्रतिशत से घटकर 2019-20 में 12.73 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक फसलों का भाग, वानिकी और लाॅगिंग का भाग  भी घट गया है, हालांकि पशुधन का भाग और मछली पकड़ने का भाग मामूली बढ़ गया है। राज्य के कुल जीवीए में कृषि और संबंद्ध क्षेत्रों की भागीदारी गैर-कृषि क्षेत्रों के अपेक्षाकृत उच्च विकास प्रदर्शन के कारण घट रही है। यह विकास प्रक्रिया का एक स्वाभाविक परिणाम है जो अर्थव्यवस्था में होने वाले  संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण गैर-कृषि क्षेत्रों की तेजी से वृद्धि करता है।
पर्यटन
हिमाचल प्रदेश एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और राज्य की वृद्धि, विकास तथा अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बहुत योगदान है। राज्य सकल उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 7 प्रतिशत है जो काफी महत्वपूर्ण है।
आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, साकारात्मक परिणाम देने के लिए पर्यटन उद्योग पर निर्भरता देखी गई है। यह इस तथ्य से प्रमाणित होता है कि हिमाचल प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या 2004 में 6.55 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2019 में 17.21 मिलियन हो गई। वर्ष 2018 में गेस्ट हाउस/होटल की संख्या 2016 में 2,784 से बढ़कर 3,382 हो गई तथा बिस्तर की संख्या क्षमता 2016 में 75,918 से बढ़कर 2018 में 91,223 हो गई।
ऊर्जा
हिमाचल प्रदेश राज्य में 27,436 मेगावाट की अनुमानित जल क्षमता है, जिसमें से 24,000 मेगावाट का ही आकंलन किया जा सका है, जबकि विभिन्न सामाजिक सरोकारों की रक्षा करके हिमाचल प्रदेश सरकार ने पर्यावरण की सुरक्षा एवं संतुलन बनाए रखने का निर्णय लिया है। लगभग 24,000 मेगावाट की कुल दोहन योग्य क्षमता में से, 20,912 मेगावाट की क्षमता के लिए पहले से ही विभिन्न क्षेत्रों के अन्तर्गत् आवंटित की गई है। राज्य सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से जल विद्युत विकास की गति को तेज कर रहा है। विभिन्न क्षेत्रों के अंतर्गत अब तक लगभग 10,596.27 मेगावाट की क्षमता का दोहन किया जा चुका है।
औद्योगिक क्षेत्र में रुझान
सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीवीए)  में औद्योगिक क्षेत्र का प्रदर्शन वर्ष 2017-18 से वर्ष 2018-19 में थोड़ा कम हुआ है। वर्तमान कीमतों पर सकल राज्य मूल्य वर्धन (जीएसवीए) में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान हर वर्ष बढ़ रहा है, क्योंकि यह वर्ष 2014-15 में 26.69 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 29.79 प्रतिशत हो गया है जिसका कारण राज्य सरकार की पहल के कारण प्रोएक्टिव इंडस्ट्रियल पाॅलिसी के रुप में, निवेशकों को प्रोत्साहन, निवेश को आकर्षित करने के लिए ईज आॅफ डूइंग बिजनेस को सक्षम करना आदि है। वर्तमान में कीमतों पर सकल राज्य मूल्य वर्धन (जीएसवीए) में खनन और उत्खनन क्षेत्र का योगदान मामूली रुप से बढ़ा है, जिसके कारण वर्ष 2014-15 में 0.33 प्रतिशत से बढ़कर यह वृद्धि वर्ष 2018-19 में 0.53 प्रतिशत हो गई है। राज्य सरकार द्वारा अवैध खनन की जांच करने के लिए सख्त कदम उठाने के कारण तथा अन्य क्षेत्रों के कारण भी अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई है। निवेश, विशेष रुप से निजी निवेश, श्प्रमुख ड्राइवरश् है जो मांग को चलाता है, क्षमता बनाता है, श्रम उत्पादकता बढ़ाता है, नई तकनीक का परिचय देता हैै और रोजगार पैदा करता है। मौजूदा बाजारों या उभरते अवसरों के जवाब में किए गए निजी निवेश में वृद्धि-नई नौकरियों का निर्माण करती है, जिससे स्थानीय आय में वृद्धि होती है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की अधिक स्थानीय मांग होती है, जिसके परिणामस्वरुप निजी क्षेत्र में अधिक निवेश होता है और इस तरह विकास का चक्र जारी रहता है। 
मुद्रास्फीति में वर्तमान रुझान
हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2014-15 से मुद्रास्फीति में कमी देखी जा रही है। वर्ष 2019-20 में हेडलाईन कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स-कंबाइंड मुद्रास्फीति 2.5 फीसदी थी जबकि वर्ष 2014-15 में 6.2 फीसदी थी। थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में वर्ष 2015-16 और वर्ष 2018-19 के बीच वृद्धि देखी गई है, यह वर्ष 2018-19 में 4.7 प्रतिशत से गिरकर वर्ष 2019-20 के दौरान 1.5 प्रतिशत हो गई।
सामाजिक सेवाओं पर व्यय में रुझान
समावेशी विकास और रोजगार के लिए सामाजिक अवसंरचना में निवेश पूर्व-आवश्यकता है। सामाजिक कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 का एक प्रमुख आकर्षण है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा सामाजिक सेवाओं पर व्यय 2014-15 में ृ 7,973 करोड़ से बढ़कर 2019-20 ;बजट अनुमानद्ध में 15,156 करोड़ रुपए हो गया। सकल राज्य घरेलू उत्पाद ;जीएसडीपीद्ध  के अनुपात के रुप में, सामाजिक सेवाओं पर व्यय  वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 की अवधि के दौरान 7.48 से  9.16 प्रतिशत तक 1.48 प्रतिशत अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। जी.एस.डी.पी.  के प्रतिशत के रुप में शिक्षा पर व्यय वर्ष 2014-15 और वर्ष 2019-20 ;बीईद्ध के बीच 4.12 प्रतिशत से बढ़कर 4.75 प्रतिशत हो गया। इसी तरह, जी.एस.डी.पी. के प्रतिशत के दौरान स्वास्थ्य पर व्यय 1.25 प्रतिशत से बढ़कर 1.66 प्रतिशत हो गया।
राजकोषीय विकास
राज्य सरकार प्रशासन और विकासात्मक गतिविधियों पर व्यय को पूरा करने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों, गैर-कर राजस्व, केन्द्रीय करों का भाग और केन्द्र सरकार से अनुदान के माध्यम से वित्तीय संसाधन जुटाती है। वर्ष 2019-20 ;बीईद्ध के बजट अनुमानों के अनुसार, कुल राजस्व प्राप्तियां 33,747 करोड़ रुपए हैं, जबकि वर्ष 2018-19 में 31,189 करोड़ रुपए के मुकाबले ;आरईद्ध  8.20 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
राज्य के अपने कर वर्ष 2019-20 ;बीईद्ध में बढ़कर 15.69 प्रतिशत हो गए, जोकि वर्ष 2018-19 ;आरईद्ध अनुमानित में 6,847 करोड़ रुपए और वर्ष 2017-18 ;एद्ध में 7,821 करोड रुपए है।
राज्य के गैर-कर राजस्व ;जिसमें मुख्य रुप से ब्याज रसीदें, बिजली रसीदें, सड़क परिवहन रसीदें और अन्य प्रशासनिक सेवा आदि शामिल हैंद्ध का अनुमान वर्ष 2019-20 ;बीईद्ध में 2,443 करोड़ रुपए है, जो कि 2019-20 के कुल राजस्व प्राप्तियों का 7.24 प्रतिशत है। 
वर्ष 2019-20 के बजट अनुमानों के अनुसार, कर राजस्व ;केन्द्रीय करों सहितद्ध का अनुमान 15,319 करोड़ रुपए है जबकि वर्ष 2018-19 में 12,277 करोड़ रुपए के मुकाबले ;आरईद्ध जो वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान से 24.78 प्रतिशत अधिक है, जी.एस.डी.पी. का 9.26 प्रतिशत है।
बजट अनुमानों के अनुसार वर्ष 2019-20 के लिए सरकार की राजस्व प्राप्तियां जी.एस.डी.पी. का 20.39 प्रतिशत होने का अनुमान है जो कि वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमानों में 20.27 प्रतिशत था। इसी तरह, वर्ष 2019-20 के दौरान वर्ष 2019-20 के लिए कर राजस्व जी.एस.डी.पी. के 9.26 प्रतिशत के अनुमान के अनुसार 7.98 प्रतिशत है। वर्ष 2018-19 में   1.51 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2019-20 में गैर-कर  राजस्व जी.एस.डी.पी. का 1.48 प्रतिशत है जिसमें मामूली कमी आई है। वर्ष 2019-20 में राजस्व व्यय में वृद्धि होने की सम्भावना है जबकि वर्ष 2019-20 में जी.एस.डी.पी. के प्रतिशत के रुप में पूंजीगत व्यय में कमी आने की सम्भावना है। 
राजकोषीय घाटा जी.एस.डी.पी. वर्ष 2018-19 में 5.06 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2019-20 में 4.44 प्रतिशत है। जी.एस.डी.पी. के प्रतिशत और राजस्व घाटा वर्ष 2019-20 में घटने की उम्मीद है।
बजट अनुमानों के अनुसार, राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि  वर्ष 2013-14 में 0.72 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 8.20 प्रतिशत होने की सम्भावना है। सरकार का कर राजस्व ;केन्द्रीय करो सहितद्ध वर्ष 2019-20 में 24.78 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जबकि वर्ष 2013-14 में 10.19 प्रतिशत थी। वर्ष 2019-20 में गैर-कर राजस्व की वृद्धि घटकर 5.13 प्रतिशत हो गई जो वर्ष 2013-14 में 29.63 प्रतिशत थी। बजट अनुमान वर्ष 2019-20 के अनुसार वर्ष 2013-14 में 3.51 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में सरकार के कुल व्यय में वृद्धि 1.75 प्रतिशत है। वर्ष 2019-20 में राजस्व व्यय में 8.02 प्रतिशत की वृद्धि होने की सम्भावना है। पूंजीगत व्यय में वृद्धि वर्ष 2013-14 में (-) 5.06 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2019-20 में ;.(-) 6.40 प्रतिशत अनुमानित है।



courtesy: CMO Himachal Pradesh

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