शिमला —प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों को शतरंज का खेल खिलाए या फिर गेम का पाठ पढ़ाए, इस पर शिक्षा विभाग और एससीआरटी स्थिति तय नहीं कर पा रहे हैं। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय जहां छात्रों को गेम के साथ सिलेबस भी पढ़ाना चाहते हैं, तो वहीं एससीईआरटी केवल शतंरज की चाल छात्रों को गेम के माध्यम से सिखाना चाहता है। ऐसे में स्कूलों में छात्रों के लिए शुरू होने वाले संगीत, योग व शतरंज विषय को लेकर शुरू होने वाली तैयारियां दूसरी बार शुरू की जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) द्वारा शतरंज के तैयार सिलेबस को प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है, लेकिन प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय इसमें बदलाव करना चाह रहा है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय शतरंज को लेकर पहली कक्षा से पाठ पढ़ाना चाहता है। इसको लेकर अलग से एक कमेटी का गठन भी कर दिया गया है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय दावा कर रहा है कि शतरंज का पाठ तैयार कर उसे अगले शैक्षणिक सत्र से पहली कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा, जबकि एससीईआरटी पहली से दसवीं कक्षा तक के बच्चों को शतरंज का पाठ पढ़ाने से साफ इनकार कर रहा है। एससीईआरटी ने शतरंज, योग और संगीत विषयों का कोर्स तैयार करने के लिए पांच लाख रुपए का बजट भी मांगा है। बजट मिलने के बाद कोर्स तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होगी। एससीईआरटी सोलन की प्रधानाचार्य नम्रता टिकू ने कहा कि एससीईआरटी सोलन एकेडमिक अथॉरिटी है। उन्होंने बताया कि यह एससीईआरटी तय करेगी कि सरकारी स्कूलों क्या पढ़ाया जाएगा और क्या नहीं। शतरंज को पहली कक्षा से दसवीं कक्षा तक खेल गतिविधि के रूप में शामिल करने का ही प्रस्ताव है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि इस बारे में सरकार से कोई दिशा-निर्देश आते हैं तो उस पर चर्चा के बाद आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बता दें कि एसीसीईआरटी द्वारा तैयार ड्राफ्ट में पहली से दसवीं तक शतरंज को खेल गतिविधि के रूप और जमा एक और जमा दो कक्षा में पाठ शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। शतरंज के अलावा पहली से पांचवीं कक्षा तक संगीत और योग को गतिविधि के रूप में शुरू किया जाना है।
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Courtsey: Divya Himachal
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