हिमाचल में सात हाकी होस्टल, सिर्फ  दो कोच

प्रदेश में कैसे तैयार होगी खिलाडि़यों की नई पौध; छात्रावासों में बेहतर सुविधाएं नहीं दे पाया शिक्षा विभाग, डाइट मनी कम

 सुंदरनगर –हिमाचल सरकार एक ओर खेल नीति बनाने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में खिलाडि़यों की नई पौध तैयार करने के लिए पर्याप्त कोच तक नहीं हैं। अगर बात हम हाकी खेल की करें, तो हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग के सात हाकी होस्टल हैं, लेकिन इनमें से मात्र दो ही हाकी होस्टल में शिक्षा विभाग के नियमित कोच हैं, बाकी पांच जगह पर शिक्षा विभाग के हाकी होस्टलों में कोई भी कोच नहीं है, वहां पर काम चलाऊ कोचों के सहारे व्यवस्था चलाई जा रही है इतना ही नहीं, शिक्षा विभाग के होस्टल में पर्याप्त सुविधा नहीं है। खिलाड़ी स्वयं खाना पकाने से लेकर सर्द मौसम में आग जला कर पानी गर्म करने के साथ अन्य सुविधाएं जुटाने में विवश हैं। ऐसे में न तो अपना पूरा ध्यान खेल की ओर लगा पा रहे हैं और न ही पढ़ाई की ओर। ऐसा ही एक आलम सुंदरनगर के सीसे स्कूल बाल में शिक्षा विभाग के राज्य स्तरीय हाकी छात्रावास में देखने को मिल रहा है। देश के राष्ट्रीय खेल हाकी में देश व प्रदेश का नाम चमकाने के सपने रखने वाले इसी छात्रावास के खिलाडि़यों ने राज्य स्तर पर लगातार 23 बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता जीती है और राष्ट्रीय स्तर पर भी बेहतर प्रदर्शन कर सराहना बटोरी है। उन्हें सुविधाएं और बेहतर डाइट उपलब्ध करवाने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। पूर्व सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने छात्रावास को बेहतर सुविधाए मुहैया करवाने के लिए तीन लाख की राशि स्वीकृत की थी, लेकिन सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी यह राशि आज तक नहीं मिली है। सुंदरनगर के इस छात्रावास में करीब छह साल से कुक नहीं है, जिसके कारण बच्चों को स्वयं ही मिलजुल कर खाना बनाने को मजबूर होना पड़ता है। वार्डन की भी लंबे समय से नियुक्ति नहीं हो पाई है। इसके कारण सारी जिम्मेदारी कोच पर ही पड़ी हुई है। छात्रावास के रसोई घर व स्नानागार की हालत बद से बदतर है। खिलाडि़यों को सफाई खुद करनी पड़ती है।  प्रदेश में युवा सेवाएं एव खेल विभाग के जो छात्रावास हैं, वहां पर खिलाडि़यों के लिए 150 रुपए प्रतिदिन व साई के खेल छात्रावासों में 300 रुपए प्रतिदिन डाइट पर खर्च किये जाते है। वही प्रदेश में सिलारु और ऊना के मैदान पर खिलाडि़यों को खेलने के लिए टर्फ उपलब्ध है। छात्र खिलाडि़यों ने सरकार से गुहार लगाई है कि होस्टल में अच्छी सुविधा प्रदान की जाए और प्रदेश में जहा पर भी हाकी हॉस्टल हैं, वहां पर टर्फ उपलब्ध करवाई जाए।

पांच दशक से जर्जर हालत में भवन

सुंदरनगर छात्रावास का भवन भी करीब पांच दशक पुराना जर्जर हालत में है। खिलाडि़यों को बीमार होने पर मेडिकल का खर्चा भी स्वयं ही वहन करना पड़ता है। यहां तक की उनकी पढ़ाई के लिए फीस तक माफ  नहीं है। छात्रावास में 30 छात्र रहते हैं, जिन्हें रोजाना खाने के लिए 120 रुपए डाइट का शिक्षा विभाग की ओर से प्रावधान है, जिसमें गैस का खर्च भी शामिल रहता है।

 

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Courtsey: Divya Himachal
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