ठियोग —बागबानी विशेषज्ञ के अनुसार पतझड़ के तुरंत बाद सेब व नाशपाती के पौधों के तनों पर बोर्डो पेंट लगाया जाना चाहिए। बोर्डो पेंट (चूना) लगाने के वैसे तो कई फायदे हैं किंतु पतझड़ के तुरंत बाद की गई सफेदी से पेड़ों के तने को सूरज की तेज़ किरणों से सुरक्षा मिलती है। जब पेड़ की पत्तियां झड़ जाती है तो सूर्य की किरणे सीधे तने पर गिरती हैं। इसके कारण तने की छाल जल कर सूखने लगती है जिसे सनबर्न भी कहते है। यही सनबर्न कुछ समय बाद स्टेम केंकर बन जाता है और रोगग्रस्त पेड़ धीरे-धीरे सूख कर मर जाता है। चूने की सफेदी सूर्य की तेज किरणों को परिवर्तित करती है जिसके कारण पौधे के तने को किसी प्रकार का नुक़सान नहीं पहुंचता। इसके चलते बागबानी विशेषज्ञ भी अक्तूबर और नवंबर के महीने में चूना लगाने का सुझाव देते हैं। बोर्डो पेंट सेब व नाशपाती के पौधों में बैक्टीरिया व फफूंद जनित रोगों की रोकथाम में भी सहायक है। इससे फायर ब्लाइट जैसे रोगों का निदान भी किया जाता है। हालांकि यह रोग अभी तक हिमाचल में सेब और नाशपाती के बागीचों में नहीं पाया गया है। किन्हीं परिस्थितियों में यदि बागबान अक्तूबर महीने में पेड़ के तने पर चूना लगाने से चूक जाएं तो वे इसे अप्रैल महीने तक कभी भी लगा सकते हैं। कुछ बागबान इस दौरान यह सोचकर भी सेब के पौधों के तनों की सफेदी करते हैं कि इसके सफेद रंग को देखकर मधुमक्खियां आकर्षित होंगी। जबकि यह धारणा बिलकुल ही गलत है। मधुमक्खियां फूल को देखकर आकर्षित होती है न कि चूने के सफेद रंग को देखकर। बोर्डो पेंट बनाने के लिए बागबान अलग-अलग विधियों का प्रयोग करते है। इनमंे वह प्रयोग की जाने वाली सामग्री के अनुपात में कमी या वृद्धि करते हंै। आमतौर पर 45 लीटर बोर्डो पेंट बनाने के लिए बागवान 30 लीटर पानी के साथ 10 किलो अनबुझा चुना, दो किलो नीला थोथा और दो लीटर अलसी का तेल प्रयोग कर सकते है। सबसे पहले बागबान दस किलो चुने को किसी बरतन में 30 लीटर पानी से ज़रूरत अनुसार पानी लेकर उसका पेस्ट तैयार करें। इसके साथ नीले थोथे को महिन पीस कर शेष बचे पानी में इसका घोल तैयार कर दें और किसी बड़े बरतन में चूने का घोल व नीला थोथा एक साथ मिला दे। इसके बाद उसमे दो लीटर अलसी का तेल डालकर किसी डंडे या ड्रम मिक्सर की मदद से अच्छे से मिला दें। इस तरह पौधों के तनों पर सफेदी के लिए बोर्डो पेंट बनकर तैयार हो जाएगा। अत्यधिक घना घोल बनने की स्थिति में उपयोगकर्ता इसमें ज़रूरत अनुसार पानी मिलाकर इसे प्रयोग में ला सकता है। कुछ लोग घर पर बोर्डो पेंट तैयार करने की बजाय बाज़ार से रेडीमेड बोर्डो पेंट लेकर उसका प्रयोग करते है। यह पेंट देखने में अधिक नीला होता है और घर पर बनाए घोल के मुकाबले ज्यादा समय तक पौधों के तनों से चिपका रहता है।
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Courtsey: Divya Himachal
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