एसजेवीएन ने शुरू किया सर्वेक्षण, क्षमता का आकलन करने की चल रही प्रक्रिया
शिमला —प्रदेश सरकार द्वारा विवादित जंगी-थोपन-पोवारी परियोजना सतलुज जल विद्युत निगम को देने के बाद अब सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है। पहले परियोजना की क्षमता का आकलन किया जाएगा, जिसके बाद ही सरकार निगम के साथ समझौता करेगी। माना जा रहा था कि इसी महीने सरकार और निगम के बीच समझौता हो जाएगा, परंतु फिलहाल ऐसा नहीं हो पाएगा। परियोजना की पहले क्षमता 980 मेगावाट आंकी गई थी, लेकिन बाद में सरकारी स्तर पर बताया गया कि इसकी क्षमता 680 मेगावाट के करीब की ही रहेगी। अभी भी इसकी क्षमता का वास्तविक आकलन नहीं है, लिहाजा सतलुज निगम को इसके सर्वेक्षण के लिए कहा गया है। परियोजना को लेकर शुरूआत से ही विवाद चलते रहे हैं, परंतु वर्तमान सरकार ने इसके विवाद को हल कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि निगम के साथ होने वाले समझौते का प्रारूप लगभग तैयार है, परंतु इसमें प्रोजेक्ट की वास्तविक क्षमता का आकलन नहीं है। ऐसे में सर्वे करवाना जरूरी है, जिसके लिए सतलुज निगम ने अपनी टीम को काम पर लगा दिया है। जितनी जल्दी निगम इसकी रिपोर्ट ऊर्जा निदेशालय को देगा, उतनी ही जल्दी सरकार के साथ उसका करार होगा। सरकार चाहती है कि प्रोजेक्ट को टाइम बाउंड किया जाए, ताकि तय अवधि में इसका काम पूरा हो सके। समझौते में इसकी समयावधि तय होगी। किन्नौर जिला में यह परियोजना निर्माण के लिए भी काफी कठिन है, लिहाजा निजी कंपनियां इसमें आगे नहीं आ रही थी। यही कारण था कि सरकारी क्षेत्र के उपक्रम को इसका काम सौंपा गया है। सरकार को उम्मीद है कि सतलुज निगम इसे समय रहते तैयार कर देगा, जिससे दोनों को फायदा मिलेगा। शर्तों का खाका बन चुका है जिसके लिए केवल सर्वेक्षण रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है।
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Courtsey: Divya Himachal
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