20 हजार पौधे बांटने का संकल्प लेने वाले पर्यावरण पे्रमी भूप सिंह का निधन, अभी तक बांट चुके 13 हजार प्लांट्स
नाहन – हिमाचल निर्माता डा. यशवंत सिंह परमार के पर्यावरण के जज्बे से प्रभावित होकर डा. परमार के नाम से 20 हजार औषधीय व सजावटी पौधों को बांटने का संकल्प लेने वाले सिरमौर जिला के क्वागधार निवासी भूप सिंह नश्वर संसार से विदा हो गए। साथ ही उनके द्वारा निर्धारित किया गया लक्ष्य भी अधूरा रह गया। जिला सिरमौर के पच्छाद विकास खंड के अंतर्गत आने वाले गांव मझीयाडी क्वागधार के 74 वर्षीय भूप सिंह का अंतिम संस्कार किया गया। अपने इस लक्ष्य के तहत स्व. भूप सिंह प्रदेश ही नहीं, बल्कि बाहरी प्रदेशों से भी उनके ढाबे पर पहुंचने वाले पर्यटकों को साढ़े 13 हजार तक के पौधे वितरित कर चुके हैं। पिछले वर्ष पर्यावरण प्रेमी भूप सिंह के साथ ‘दिव्य हिमाचल’ के साथ हुई विशेष बातचीत को 14 नवंबर के अंक में प्रकाशित किया गया गया था। स्व. भूप सिंह ने डा. यशवंत सिंह परमार के क्षेत्र में बागबानी विभाग के फार्म में बतौर माली कार्य करते थे। इस दौरान हिमाचल निर्माता का पर्यावरण के प्रति पे्रम और पेड़-पौधों के प्रति जिज्ञासा को देख कर काफी प्रभावित हुए थे। डा. परमार से प्रभावित होने के बाद उन्होंने निःशुल्क 20 हजार पौधे लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य को वह अपने बेटे के साथ नाहन-सोलन सड़क मार्ग पर स्थित अपने ढाबे से पूरा कर रहे थे। इस ढाबे में रुकने वाले हिमाचल ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के साथ देश की राजधानी दिल्ली के पर्यटकों को ये पौधे निःशुल्क प्रदान करते थे। पौधे वितरित करने वाले पर्यटकों का रिकार्ड रखने के लिए बकायदा विजिटर रजिस्टर भी रखा गया था। इस दौरान वह पर्यटकों के साथ डा. परमार के साथ बिताए अपने पलों को भी साझा करते थे। स्व. भूप सिंह 74 वर्ष की आयु में भी पर्यावरण को सुरक्षित रखने का जज्बा अपने दिल में समाए हुए थे, इस कार्य में भूप सिंह के बेटे व उनकी बेटियां भी साथ दे रहे थे। वर्ष 2004 में सेवानिवृत्ति के बाद से भूप सिंह इस कार्य को पूरा करने के लिए लगे हुए थे तथा अभी तक उन्होंने साढ़े 13 हजार पौधे वितरित कर दिए थे। भूप सिंह की खासियत यह भी थी कि वह अपनी पेंशन से 30 प्रतिशत हिस्सा पर्यावरण संरक्षण पर खर्च करते थे। स्व. भूप सिंह के पुत्र विनोद कुमार ने ‘दिव्य हिमाचल’ को उनके पिता के निधन की सूचना दी। विनोद कुमार ने बताया कि उनके पिता का हिमाचल निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार के नाम पर 20000 पौधे बांटने का सपना अधूरा नहीं रहेगा, वह अपने पिता के लक्ष्य को पूरा करेंगे। उनके पिता ने गत माह ही करीब तीन हजार अखरोट के पौधे लाए थे तथा इन पौधों को तैयार कर आम लोगों में बाटेंगे। भूप सिंह ने बताया था कि वह डा. परमार के बगीचे में भी कार्य किया था। भूप सिंह अनार, पपीता, अमरुद, नींबू, देवदार, स्टीविया, अश्वगंधा, गुलाब, जरेनियम के पौधे तैयार करते हैं।
सम्मान न मिलने का था मलाल
स्वर्गीय भूप सिंह को वर्ष 2017 में पर्यावरण विज्ञान एवं तकनीकी विभाग की ओर से विभाग के निदेशक की मार्फत शिमला के पीटरहॉफ में आयोजित होने वाले पर्यावरण सम्मान समारोह में आमंत्रित किया गया था। इस समारोह में पहुंचे परंतु उन्हें इस बात का दुख रहा कि उन्हें मौके पर सम्मानित नहीं किया गया। उन्हें बकायदा स्टेट एनवायरमेंटल लीडरशिप अवार्ड-2017 के पुरस्कार से सम्मानित करने का न्योता मिला था। स्व. भूप सिंह को सिरमौर कला संगम श्री रेणुका जी के अलावा कई अन्य संस्थाएं भी समाज सेवा के जज्बे के लिए सम्मानित कर चुकी थी।
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Courtsey: Divya Himachal
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