ऊर्जा नीति के संशोधन पर अड़ंगा

विद्युत नियामक आयोग में फंसा पेंच, टैरिफ को लेकर चल रहा विवाद

शिमला – जयराम सरकार ने प्रदेश में पन विद्युत परियोजना क्षेत्र का बढ़ाने के लिए ऊर्जा नीति में संशोधन कर निवेशकों को राहत देने की कोशिश तो की, मगर यह संशोधन लागू नहीं हो पा रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि सरकार ने अधिसूचना जारी कर संशोधनों को अधिसूचित भी कर दिया, परंतु फिर भी नए प्रोजेक्टों के लिए बिडिंग नहीं हो सकी। दिलचस्प बात यह है कि करीब छह महीने पहले निवेशकों को रियायतें दी गईं, लेकिन यहां किसी एक ने भी प्रोजेक्ट लेने के लिए हाथ नहीं बढ़ाए। सूत्रों के अनुसार सरकार द्वारा की गई अधिसूचना के बाद विद्युत नियामक आयोग की हरी झंडी नहीं मिल पाई है। मामला टैरिफ को लेकर अड़ा हुआ है और सरकार लगातार नियामक आयोग को समझाने में लगी है। सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा, ऊर्जा अधिकारियों व नियामक आयोग के बीच हाल ही में एक और बार चर्चा हुई है, जिसमें सरकार ने आयोग से टैरिफ में निवेशकों को राहत देने की बात कही है। जब तक आयोग अपने स्तर पर टैरिफ में सरकार द्वारा दी गई छूट को शामिल नहीं करेगा, तब तक यह संशोधन लागू नहीं हो सकेंगे। इस कारण से सरकारी कुनबा भी फंसा हुआ है। सरकार द्वारा ऊर्जा नीति में किए गए संशोधनों के बाद ऊर्जा क्षेत्र के निवेशकों को राहत मिलनी थी और इस पर यहां नया निवेश आ सकता था। इतने महीने बाद भी ऊर्जा विभाग नए प्रोजेक्टों के लिए बिडिंग नहीं कर पाया है, जबकि उसके पास कई प्रोजेक्ट लंबित पड़े हैं। करीब दो दर्जन परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनके लिए खरीददार नहीं मिल पा रहे। उम्मीद की जा रही थी कि ऊर्जा नीति में संशोधन के तुरंत बाद यहां पर निवेशकों की लाइन लग जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इससे खुद सरकार भी परेशान है।

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Courtsey: Divya Himachal
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